राष्ट्रपित रामनाथ कोविंद ने कहा, आज जब दुनिया भर में लोकतांत्रिक संस्थानों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वहीं भारतीय संस्थाएं अधिक ताकत हासिल कर रही हैं। हमारी प्राचीन पुस्तकों में लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लेख है। हमारे संस्थापक पिता ने संविधान में इन भावनाओं को अंतिम रूप दिया।
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