नई दिल्ली
एक्साइज और वैट जैसे मौजूदा टैक्स रिजीम से जीएसटी में माइग्रेट कर रहे लाखों ट्रेडर फिलहाल रोमांच और तनाव दोनों से गुजर रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता दुकान और गोदाम में पड़ा पुराना माल है, जिस पर चुकाए गए करों का इनपुट क्रेडिट नए टैक्स रिजीम में लेना है। जीएसटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब सरकार ने माइग्रेशन, स्टॉक क्रेडिट और रिटर्न के सारे रूल्स जारी कर रखे हैं, तो ऐसी कोई वजह नहीं कि ट्रेडर अपनी किसी गलती के चलते मुश्किल में फंसे। उसे कम से कम आंकड़ों और दस्तावेजों के स्तर पर खुद को पूरी तरह तैयार रखना चाहिए। इससे वह जीएसटी में अपने लिए कई चीजें आसान कर सकता है।
सीए विपिन जैन कहते हैं, ’30 जून तक के अनसोल्ड स्टॉक की एक अलग फाइल बनाइए और परचेज बिल, बिल ऑफ एंट्री और एक्साइज पेड डॉक्युमेंट्स तैयार रखिए। अगर इनमें कोई स्टॉक एक साल से पुराना है तो उसे निकाल दीजिए और राज्य के भीतर ही टैक्स इनवॉइस पर बेच दीजिए, चाहे थोड़ा बहुत डिस्काउंट ही क्यों न देना पड़े।’ वह कहते हैं कि अपने स्टॉक को रेट-वाइज अलग-अलग कैटिगरी में रखिए। जो सामान लोकल खरीदा था, उसका इनपुट क्रेडिट SGST में मिलेगा। CGST के अगेंस्ट क्रेडिट लेने के लिए ड्यूटी पेड और नॉन-ड्यूटी पेड स्टॉक की अलग-अलग लिस्ट बनाइए।
GST कंसल्टेंट मीनल अग्रवाल बताती हैं कि अपने सप्लायर और क्रेडिटर्स से वित्त वर्ष 2016-17 का अकाउंट स्टेटमेंट ले लीजिए और अकाउंट बुक्स पूरी तरह तैयार रखिए। अगर आपकी परचेज रिपोर्ट में किसी तरह का मिसमैच है, तो उसे 30 जून से पहले ठीक करा लीजिए और वैट रिटर्न को रिवाइज कराइए। यह भी सुनिश्चित कर लीजिए कि सी-फॉर्म, एच फॉर्म, आई-फॉर्म जैसे स्टैट्यूटरी फॉर्म कलेक्ट कर लिए हैं
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