नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा दांव खेला है। भाजपा ने रामनाथ कोविंद को जहां अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर सबको चौंका दिया, वहीं अब विपक्ष भी संयुक्त रूप से अपना उम्मीदवार उतार कर बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। गैर-एनडीए दलों के 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी और कुछ अन्य नामों पर विपक्षी पार्टियां विचार कर रही हैं।
कोविंद के नाम पर आश्चर्य नहीं
भाजपा का सत्तारूढ़ पार्टी और आरएसएस से जुड़े नेता 71 वर्षीय कोविंद को प्रत्याशी बनाने के फैसले से विपक्षी दलों को आश्चर्य नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा पहली बार चुनाव जीतने के काफी करीब है और वह इस अवसर को नहीं जाने देगी।
भाजपा ने खेला दलित कार्ड
भाजपा ने हाल में दलितों पर हमले के मद्देनजर अगले आम चुनावों से पहले संभवत: अपनी छवि को दुरस्त करने को ध्यान में रखकर एकतरफा तरीके से राजनैतिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश से अपने उम्मीदवार को चुना। ऐसा करके भाजपा ने दलित कार्ड खेला।
वहीं विपक्ष के सूत्रों के मुताबिक उन्होंने भी कोविंद के नाम की घोषणा से पहले किसी आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाने के बारे में सोचा था। सूत्र ने बताया, ‘ऐसी चर्चा चल रही थी कि राजग झारखंड की राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बना सकता है इसलिए, हम भी किसी आदिवासी व्यक्ति को उतारने पर विचार कर रहे थे। चूंकि, उन्होंने एक दलित नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है, इसलिए समीकरण अब बिल्कुल अलग हो गए हैं। ऐसे में विपक्ष भी ऐसे उम्मीदवार को सामने लाना चाहती है जो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके।
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