अन्य कंपनियों ने भी की थी शिकायतें:
telegraph.co.uk के अनुसार- EU गूगल से उसके सर्च इंजन में बदलाव की मांग भी कर सकता है जिससे सर्च रिजल्ट में वह अपनी सर्विस के लिए पक्षपाती न दिखे। इसकी जांच 2010 से शुरू हुई थी। इस मामले ने तब अधिक तूल पकड़ा जब अन्य प्राइज-कंपैरिजन वेबसाइट्स ने शिकायतें करते हुए कहा की गूगल ने अपने सर्च रिजल्ट से उनकी सेवाएं हटा दी हैं। गूगल का यूरोप में इंटरनेट सर्च पर 90 प्रतिशत का शेयर है। इससे गूगल को यह पावर मिल जाती है की वो जहां चाहे यूजर्स को उस तरफ भेज सकता है। गूगल एक पावरफुल टूल के रूप में सामने आता है, जिसके हाथ में यूजर्स को नेविगेट करने की क्षमता है।
क्या है गूगल का कहना?
गूगल के अनुसार, ऑनलाइन शॉपिंग में कंपनी की एंट्री कंस्यूमर्स और रिटेलर्स दोनों ही के लिए फायदेमंद है। यह बात कहते हुए गूगल ने अपना पक्ष रखा की यह कदम ऑनलाइन शॉपिंग में किसी एकाधिकार के लिए नहीं था। इस के अलावा गूगल, कमीशन के साथ दो अन्य प्रतिस्पर्धिक केस भी लड़ रहा था, जहां कंपनी को भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।
गूगल ने लगाया गलत तरीके से प्रतिबंध:
गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट पर पिछले साल 90 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था, जो गूगल के खरीदारी राजस्व का 30 फीसदी जुर्माना माना गया। गूगल को यह साफ करना होगा की वह भविष्य में अपने खरीदारी व्यवसाय का निर्माण कैसे करना चाहता है और अगर वह ऐसा आयोग द्वारा निर्धारित समय में नहीं कर पाता है तो कंपनी को प्रत्येक दिन के औसत दैनिक कारोबार का 5 फीसदी जुर्माने के रूप में देना होगा। जांच में यह भी सामने आया है कि गूगल ने गलत तरीके से अपनी वेबसाइटों से अपने प्रतिद्वंद्वियों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसने इसके सर्च बार और विज्ञापनों का इस्तेमाल किया।
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