गुजरात में दंगे के दौरान क्षतिग्रस्त धार्मिक इमारतों की मरम्मत के लिए मुआवज़े के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाइकोर्ट का फैसला रद कर दिया है।
हाईकोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त धार्मिक इमारतों के निर्माण के लिए सरकार को मुआवज़ा देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश ख़ारिज करते हुए राज्य सरकार की मुआवज़ा नीति को सही ठहराया है। कोर्ट ने सरकार की नीति स्वीकार की है, जिसमें मकान दुकान की मुआवज़ा नीति में उचित लगने पर क्षतिग्रस्त धार्मिक इमारत का भी मुआवज़ा हो सकता है। हाई कोर्ट ने राज्य के सभी 26 जिलों में दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों की लिस्ट बनाने को कहा था। याचिकाकर्ता इस्लामिक रिलीफ सेंटर की तरफ से दावा किया गया था कि ऐसे स्थलों की संख्या लगभग 500 है। जबकि राज्य सरकार का मानना है कि संख्या इससे बहुत कम है। उसकी ये भी दलील है कि उसे मुआवज़ा देने के लिए कहना गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की उस दलील को मान लिया जिसके तहत वो मकान-दुकान के नुकसान के लिए तय नीति के तहत ज़रूरी होने पर धार्मिक इमारतों को भी कुछ मुआवज़ा दे सकती है। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार को धार्मिक स्थलों को हुए नुकसान का मुआवजा देना होगा। यहां धार्मिक स्थल का आशय मस्जिदों से हैं। इस्लामिक रिलीफ सेंटर के वकील ने कहा कि अनुच्छेद 27 का हवाला देना गलत है। भारत का संविधान धार्मिक भावनाओं को लेकर बहुत उदार है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रफुल्ल गोरड़िया बनाम भारत सरकार मामले में हज सब्सिडी को सही ठहराया था।
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