– अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018 (SC/ST Act) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है
– सुप्रीम कोर्ट ने अब साफ किया कि इस कानून के तहत गिरफ्तारी से पहले प्राथमिक जांच की जरूरत नहीं है
– कोर्ट ने ये भी कहा कि इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पहले किसी अथॉरिटी से इजाजत लेना भी अनिवार्य नहीं होगा
– वहीं, कोर्ट ने यह कहा कि अपने खिलाफ एफआईआर रद्द कराने के लिए आरोपी व्यक्ति कोर्ट की शरण में जा सकता है
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