सूफी संत लाल शहबाज कलंदर की दरगाह पर गुरुवार को आत्मघाती धमाके में 57 लोगों की मौत हो गई। सौ से ज्यादा लोग जख्मी हो गए। दरगाह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सेहवन शहर में स्थित है। प्रत्येक गुरुवार को दरगाह पर भारी भीड़ होती है।
इस हफ्ते पाकिस्तान में हुआ यह पांचवां बड़ा आतंकी हमला है। इससे पहले लाहौर, क्वेटा, पेशावर और मोहमंद कबायली इलाके में इसी तरह आत्मघाती धमाका हुआ था। पुलिस के अनुसार आत्मघाती हमलावर ने दरगाह में खुद को उस वक्त उड़ाया जब धमाल (एक सूफी रस्म) निभाई जा रही थी। तालुका अस्पताल अधीक्षक के हवाले से डॉन ने बताया है कि कम से कम 30 शव और सौ से ज्यादा घायल अस्पताल लाए गए हैं। क्षेत्र के सभी अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है।
सिंध प्रांत के गवर्नर सैयद मुराद अली शाह ने कहा कि पाकिस्तानी सेना से आग्रह किया गया है कि वह रात में उड़ सकने वाले हेलीकॉप्टर मुहैया कराए ताकि शवों और घायलों को लाया जा सके। गंभीर रूप से घायलों को लियाकत मेडिकल कॉम्प्लेक्स और उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटनास्थल से सबसे करीब अस्पताल 40 से 50 किमी की दूरी पर होने के कारण कई लोगों ने समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण दम तोड़ दिया। बीबीसी के अनुसार आत्मघाती हमलावर ने गोल्डन गेट से दाखिल होने के बाद खुद को उड़ा लिया। हमलावर के महिला होने की आशंका है, क्योंकि धमाका दरगाह के जिस हिस्से में हुआ वहां महिला जायरीन जमा थीं।
कुछ समाचार एजेंसियों के अनुसार हमले में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि 150 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हमलावर ‘सुनहरे गेट’ से दरगाह के भीतर दाखिल हुआ और पहले उसने ग्रेनेड फेंका लेकिन वह नहीं फटा. पुलिस के अनुसार यह धमाका सूफी रस्म ‘धमाल’ के दौरान हुआ। विस्फोट के समय दरगाह परिसर के भीतर सैकड़ों की संख्या में जायरीन मौजूद थे. सहवान के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘उसने अफरा-तफरी मचाने के लिए पहले ग्रेनेड फेंका और फिर खुद को उड़ा लिया।’ तालुका अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक मोइनुद्दीन सिद्दीकी के हवाले से ‘डान’ ने खबर दी है कि कम से कम 50 शवों और 100 से अधिक घायलों को अस्पताल लाया गया है। एदी फाउंडेशन के फैसल एदी ने कहा कि मरने वालों की संख्या 50 हो गई है। उन्होंने कहा, ‘हम करीब 40 शवों को हैदराबाद और जमशेरो के अस्पतालों में लाए हैं।’ आतंकी संगठन आईएसआईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. साल 2005 से देश की 25 से अधिक दरगाहों पर हमले हुए हैं।
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