हार्ट के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट की कीमत 85% तक घटाने का ऑर्डर आते ही देश में इसकी किल्लत हो गई है। स्टेंट बनाने वाली कंपनियां और उनके डिस्टीब्यूटर री-लेबलिंग के बहाने मार्केट से स्टेंट हटा रहे हैं। कई हॉस्पिटल में तो ऑपरेशन तक रोकने पड़ गए। इस बीच फार्मास्यूटिकल डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी जयप्रिय प्रकाश ने कहा कि ऐसे हथकंडे अपनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मरीजों को स्टेंट मुहैया कराने के लिए सरकार कदम उठा रही है। बता दें कि 13 फरवरी को हेल्थ मिनिस्ट्री ने नोटिफिकेशन जारी कर कोरोनरी स्टेंट्स 85% सस्ते कर दिए थे। स्टेंट्स की कोई कमी नहीं….
– सरकार ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि स्टेंट्स की कोई कमी नहीं है लेकिन कुछ हॉस्पिटल्स ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
– नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA), ड्रग कंट्रोलर जनरल इंडिया (DCGI) और हैल्थ मिनिस्ट्री से कहा गया है कि वो सरकार की तय की गई कीमत पर स्टेंट्स मरीजों को मिलें, इसकी पुख्ता और जल्द व्यवस्था करें।
– सरकार के कीमत घटाए जाने के बाद कुछ मैन्युफेक्चरर, डिस्ट्रीब्यूटर्स और इम्पोरटर्स नए प्राइस री-लैबलिंग के नाम पर हॉस्पिटल्स से स्टेंट्स वापस ले रहे हैं। साजिश ये है कि इस बहाने स्टेंट्स की कमी दिखाकर मनमानी या पुरानी कीमतों पर इन्हें बेचा जाए।
– केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि स्टेंट ओवर चार्जिंग पर क्रिमिनल केस दर्ज होगा। शिकायत के लिए “फार्मा जन समाधान’ नाम का एप लाया गया है।
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