सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए बीएस-IV (BSIV) वाहनों पर दिए अपने 27 मार्च 2020 के आदेश को वापस ले लिया है. अब 31 मार्च के बाद बिके BSIV वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. BS-IV वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन की इजाजत की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबील डीलर एसोसिएशन (FADA) को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि देश में एक तय संख्या में वाहनों को बेचने की अनुमति दी गई, लेकिन कार निर्माता कंपनियों ने इसका गलत फायदा उठाया है. इसीलिए हम अपना पुराना आदेश वापस ले रहे हैं. मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी.
बता दें कि बीएस का मतलब भारत स्टेज से है. इसका संबंध वाहनों द्वारा पैदा होने वाले प्रदूषण से है. बीएस का लेवल वाहनों का प्रदूषण तय करता है. बीएस का लेवल जितना ज्यादा रहेगा, वाहन उतना ही कम प्रदूषण पैदा करेगा.
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार से 31 मार्च के बाद ई-वाहन पोर्टल पर जिन वाहनों के विवरण अपलोड किए गए हैं, उनका डाटा मांगा है. अदालत ने कहा कि अगर वाहन को पोर्टल पर अपलोड किया गया है तो ही पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी और 31 मार्च 2020 के बाद बेचे जाने वाले बीएस-IV वाहनों का पंजीकरण नहीं किया जाएगा. बता दें कि ई-वाहन पोर्टल पर 17000 से अधिक वाहनों का विवरण अपलोड नहीं किया गया है.
क्या है मामला- 27 मार्च को BS-IV वाहन बेचने के लिए कंपनियों को 10 दिन का अतिरिक्त वक्त दिया गया था. लॉकडाउन के चलते बिक्री करने के लिए 10 दिन का वक्त मिला था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमारे आदेश के साथ फ्रॉड किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को 1,05,000 गाड़ियां बेचने की अनुमति दी थी. ,लेकिन ऑटो कंपनियों ने 10 दिन के अंदर 2,55,000 गाड़ियां बेच दी.
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