शीर्ष अदालत ने पद्मनाभस्वामी मंदिर को चलाने के लिए पूर्व केरल रॉयल्स की पुष्टि की

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के तिरुवनंतपुरम में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखने का आदेश दिया है।यहां बात हो रही है, केरल के तिरुअनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की। सुप्रीम कोर्ट ने पद्भनाभ मंदिर के प्रबंधन में त्रवणकोर के राजपरिवार के अधिकार को मान्यता दे दी है।

पद्मनाभ मंदिर में वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर प्रबंधन और प्रशासन के बीच पिछले 9 सालों से कानूनी विवाद चल रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब यह मामला शांत होता दिख रहा है। शाही परिवार के प्रबंधन में शामिल होने तक वर्तमान में तिरुअनंतपुरम के जिला जज की शीर्ष वाली कमेटी मंदिर की व्यवस्था आरागी।

 

इस फैसले के बाद शाही परिवार के सदस्य आदित्य वर्मा ने कहा कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह भगवान श्री पद्मनाभ के साथ हमारे परिवार के संबंध को फिर से स्थापित करता है। इसे लेकर परिवार खुश है। हम पूरे फैसले को पढ़ने के लिए उत्सुक हैं।

कहा जाता है कि मंदिर के पास लगभग दो लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। यहाँ पर कई तहखाने हैं, जिनमें लाखों करोड़ों रुपयों का बोनस रखा गया है।

त्रावणकोर के राजपरिवार ने केरल हाईकोर्ट के 2011 के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और संपत्ति का राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहण का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने मंदिर के सभी तहखानों को खोलने का भी आदेश दिया था।

जबकि तिरुवनंतपुरम मंदिर के अंदर छह में से पांच कक्ष खोले गए थे और अदालत द्वारा नियुक्त टीम द्वारा बनाई गई सूची, मलयालम में कल्लारा नामक एक तिजोरी वर्षों से बंद है। त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार ने तर्क दिया है कि तिजोरी खोलने से पौराणिक अभिशाप के कारण दुर्भाग्य होगा।

हालांकि, वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमणियम, जो एमिकस क्यूरीए के रूप में अदालत की सहायता कर रहे थे, ने कहा था कि तिजोरी अतीत में कई अवसरों पर खोली गई थी।

 

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