नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एचआरडी मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया साथ ही बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी. इसके तहत अब कक्षा पांचवीं तक कम से कम और आठवीं और उससे आगे भी मुमकिन हुआ तो स्थानीय भाषा में पढ़ना होगा. इस नई शिक्षा नीति में सरकार ने स्कूली शिक्षा और हायर एजुकेशन में कई बड़े बदलाव किए हैं.
स्कूली शिक्षा में हुए ये बदलाव
पांचवी कक्षा तक कम से कम और अगर आठवी और उससे आगे भी मुमकिन होगा, तो स्थानीय भाषा या मातृभाषा में पढ़ना होगा. यानी हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय भाषा के पाठ्यक्रम के तौर पर तो होंगे, लेकिन बाकी पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा या मातृभाषा में होंगे.
अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है, लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा. यानी कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवी तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवी तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12वीं तक आखिरी हिस्सा होगा.
दसवीं बोर्ड की परीक्षा पहले ही की तरह बहाल रहेगा. बारहवीं में बोर्ड की परीक्षा भी पहले की तरह ही जारी रहेगा, लेकिन उसमें भी कुछ आंशिक बदलाव होंगे. हालांकि अब नई व्यवस्था में छात्र अपनी मर्जी और स्वेच्छा के आधार पर विषय का चयन कर सकेंगे. यानी अगर कोई छात्र विज्ञान के साथ संगीत भी पढ़ना चाहे, तो उसे ये विकल्प होगा. वोकेशनल पाठ्यक्रम कक्षा छठी से शुरू हो जाएंगे.
स्किल पर होगा ज़ोर
बोर्ड परीक्षा को ज्ञान आधारित बनाया जाएगा और उसमें रटकर याद करने की आदतों को कम से कम किया जाएगा. छात्र जब स्कूल से निकलेगा, तो ये तय किया जाएगा कि वो कोई ना कोई स्किल लेकर बाहर निकले.
छात्र स्वयं मूल्यांकन करेगा
बच्चा स्कूली शिक्षा के दौरान अपनी रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में भी भूमिका निभाएगा. अब तक रिपोर्ट कार्ड केवल अध्यापक लिखता है. लेकिन नई शिक्षा नीति में तीन हिस्से होंगे. पहला बच्चा अपने बारे में स्वयं मूल्यांकन करेगा, दूसरा उसके सहपाठियों से होगा और तीसरा अध्यापक के जरिए.
ग्रैजुएट कोर्स
1 साल पर सर्टिफिकेट
2 साल पर डिप्लोमा
3 साल पर डिग्री
अब कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल दोनों की होगी. 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए, जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं करना है. हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. उनके लिए MA एक साल में करने का प्रावधान होगा.
अब छात्रों को M.Phil नहीं करना होगा.
MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे.
नई शिक्षा नीति में प्राइवेट यूनिवर्सिटी और गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी के नियम अब एक होंगे. अब किसी भी डीम्ड यूनिवर्सिटी और सरकारी यूनिवर्सिटी के नियम अलग अलग नहीं होंगे. नई नीति स्कूलों और एचईएस दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है. राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद संस्थान और व्याख्या की स्थापना की जाएगी.
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