बसपा सुप्रीमो अब तक घोषणापत्र जारी नहीं करती थीं, तर्क देती थीं कि वह वादे करने में नहीं बल्कि काम करने में भरोसा रखती हैं। अब वे सपा और भाजपा के कामकाज को कठघरे में खड़ा करने के साथ सत्ता में आने पर सिर्फ विकास की बातें कर रहीं हैं।
उनके वादों में पिछड़े व दलितों की रोजी-रोटी का मुद्दा है तो दलितों को इस बात के लिए ताकीद भी कर रहीं है कि भाजपा आएगी तो आरक्षण खत्म कर देगी। बुंदेलखंड राज्य बनाने के वादे पर वह आज भी कायम हैं।
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