विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में किए अपने क्लीनिकल परीक्षण में पाया कि रेमडेसिविर की सहायता से कोविड-19 मरीज के अस्पताल में रहने की अवधि और जीने की संभावना बहुत कम और ना के बराबर है। इसमें रेमडेसिविर, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, एंटी एचआईवी ड्रग कॉम्बिनेशन लोपिनाविर-रिटोनाविर और इंटरफेरॉन शामिल हैं। इस परीक्षण में 30 देशों के 11,266 व्यस्क मरीजों को भी सम्मिलित किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि कोरोना का इलाज कराने अस्पताल में लंबी अवधि के लिए भर्ती मरीजों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है।
अमेरीकी कंपनी गिलीएड की रेमडेसिविर कोरोना मरीज की जान बचाने में ज्यादा सक्षम नहीं है। शुरुआत में कोरोना के इलाज के लिए इसी एंटीवायरल दवा का इस्तेमाल किया गया था और हाल ही में कोरोना वायरस से रिकवर हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में भी इस दवा का इस्तेमाल किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चार संभावित दवा रेजिमेंट पर परीक्षण किया था।
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