नई दिल्ली। 1993 के मुंबई बम धमाकों के मामले मेंअंडरवर्ल्डडॉन अबू सलेम समेत सात आरोपियों पर विशेष टाडा अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। स्पेशल जज गोविंद ए सनप की अदालत ने अबू सलेम, मुस्तफा डोसा, करीमुल्ला शेख, रियाज सिद्दीकी, ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को दोषी करार दिया, जबकि अब्दुल कयूम को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए बरी कर दिया। उसे पर्सनल बॉन्ड पर तत्काल छोडऩे के आदेश दिए। अब दोषियों की सजा पर फैसला होगा। अब अगली सुनवाई 19 जून को होगी। इस दिन सजा पर बहस के लिए तारीख तय की जाएगी।
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सलेम, मर्चेंट, खान मुख्य साजिशकर्ता
अदालत ने माना कि डोसा, अबु सलेम, ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान मुंबई धमाकों के मुख्य साजिशकर्ता थे। हालांकि सभी को देश के खिलाफ जंग छेडऩे के आरोप से मुक्त कर दिया गया। अबू सलेम को भी टाडा की कुछ धाराओं से बरी किया गया है। सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया।
इंटरपोल ने किया था गिरफ्तार
अबु सलेम को 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था।। अभिनेत्री मोनिका बेदी के साथ उसे 2002 में इंटरपोल ने लिस्बन से गिरफ्तार किया था। 2004 में पुर्तगाल की अदालत ने उसके प्रत्यर्पण को हरी झंडी। पुर्तगाली ने उसे तभी सौंपा जब भारत सरकार ने उसे फांसी की सजा न दिए जाने का आश्वासन दिया। सलेम को फरवरी 2015 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या के मामले उम्र कैद की सजा सुनाई गई। वह फिलहाल अर्थर जेल में बंद है।
12 मार्च, 1993 को सीरियल ब्लास्ट
मुंबई के १२ स्थानों पर एक के बाद एक ब्लास्ट। इनमें एयर इंडिया की बिल्डिंग और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की बिल्डिंग भी शामिल।
257 लोगों की मौत और 713 घायल
सुनवाई शुरू 2011 को, पूरी हुई मार्च, 2017 में।
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पहला ट्रायल (1995-2006)
सितंबर, 2006 को टाडा अदालत ने मेमन परिवार के चारों लोगों को दोषी करार दिया।
123 आरोपियों पर चला केस
100 लोगों दोषी करार
12 को मृत्युदंड
20 को उम्रकैद
03 बरी
21 मार्च, 2003 सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर मेमन के भाई याकूम मेमन की फांसी को बरकरार रखा। मृत्युदंड पाने वाले 10 अन्य की फांसी को उम्रकैद में बदला, 16 की उम्रकैद को भी बरकरार रखा। दो की उम्र कैद को कम किया। छह अन्य की जेल की सजा को उम्र कैद में बदला। याकूम मेमन को 30 जुलाई, 2015 को नागपुर जेल मेंं फांसी दे दी गई। वहीं इससे अलग संजय दत्त को केवल आम्र्स एक्ट में दोषी करार देकर उनकी सजा को पांच वर्ष कर दिया गया। वे अपनी सजा पूूरी कर बाहर आ चुके हैं।
दंगों का बदला लेना था मकसद
सीबीआई के मुताबिक, मुंबई धमाके 6 दिसंबर 1992 को हुए विवादित ढांचा विध्वंस के बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए किए गए थे।
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