यदि कोई कंपनी प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद कीमतों में कमी नहीं करती है और ग्राहकों को उसका फायदा नहीं देती है तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। जीएसटी के तहत गठित होने वाले मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के पास ऐसी कंपनियों को कारोबार करने से रोकने का पूरा अधिकार होगा। हालांकि विशेषज्ञ इस प्रावधान को बेहद कठोर बता रहे हैं, लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि यह प्रावधान डराने के लिए है और इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा, जब कोई और चारा नहीं रह जाएगा। हालांकि यह प्राधिकरण स्थायी संस्था के रूप में काम नहीं करेगा और गठन के दो साल बाद इसे खत्म भी किया जा सकता है।
जीएसटी परिषद ने जो नियम तय किए हैं, उनके अनुसार प्राधिकरण कंपनियों को कीमतें कम करने का आदेश भी दे सकता है। यदि कोई कंपनी अपने उत्पादों की कीमतें नहीं घटाती है तो प्राधिकरण उसे ग्राहक को पैसे लौटाने के लिए भी कह सकता है। साथ ही उत्पाद खरीदने की तारीख से 18 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी ग्राहक को मिलेगा। यदि ग्राहक इस रकम का दावा नहीं करता है या ग्राहक का पता नहीं चलता है तो पूरी रकम उपभोक्ता कल्याण कोष में चली जाएगी।
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