इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित परिवार को प्रशासन की अवैध निरुद्धि से मुक्त कराने और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहाल करने के लिए दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए इसे खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई सुप्रीमकोर्ट में चल रही है। सुप्रीमकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पीड़ित परिवार को सुरक्षा सहित कई निर्देश दे रखे हैं। इसे देखते हुए इस मामले में यहां से हस्तक्षेप करने का औचित्य नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि यदि याची चाहे तो सुप्रीमकोर्ट के समक्ष अपनी बात रख सकते हैं।
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