बाढ़ से असम में तबाही का मंजर, इंसानों के साथ बेजुबानों की जान पर आफत

देश का पूर्वोत्तर का इलाका इस समय भीषण बाढ़ के संकट से जूझ रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य असम है, यहां के गांव के साथ-साथ शहरों और कस्बों का हाल भी बुरा है। वर्तमान में कोरोना संकट और फिर बाढ़ ने असम पर दोहरा प्रहार किया है। असम में बाढ़ के कारण इंसान के साथ-साथ बेजुबान जानवर भी बेहाल हैं।

असम में बाढ़ के कारण अब तक 71 लोगों की जान जा चुकी है। वहाँ कई लोग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे हुए हैं जिन्हें रेस्क्यू करके सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। इस बाढ़ से इंसानी जन-जीवन ही नहीं बल्कि जीव-जंतु भी प्रभावित हैं।

असम के 27 जिले बाढ़ की चपेट में हैं और 39 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। NDRF की टीमें भी लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क का 80 प्रतिशत हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इससे यहां संरक्षित वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट आ गया है।

काजीरंगा पार्क के निदेशक पी शिवकुमार ने बताया है कि अब तक 66 जानवरों की मौत हो चुकी है और 170 जानवरों को बचाया गया है। बाढ़ जैसी स्थिति में जानवरों के लिए बहुत भारी संकट पैदा हो जाता है। जानवरों के लिए भी कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन असम में हालात को ठीक होने में समय लगेगा।

बताया गया है कि बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क में एक सींग वाले गैंडों की भी मौत हुई है। नेशनल पार्क ने कहा है कि चार गैंडों की बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गई। वहीं, एक गैंडे की मौत प्राकृतिक रूप से हुई है।

पांच जंगली सूअर, दो जंगली भैंसे आदि की भी मौत हुई है। पार्क प्राधिकरण, वन कर्मियों और ‘सेंटर फॉर वाइल्ड रिहैबिलिटेशन एंड कंजर्वेशन’ ने अब तक 120 से अधिक जानवरों को बचाया है।

बता दें कि असम के होजई, ढेमाजी, लखीमपुर, विश्वनाथ, सोनितपुर, उदलगुड़ी, दरंग, बक्सा, नलबाड़ी, बारपेटा, चिरांग, बोंसाईगांव, कोकराझार, धुबरी, दक्षिण वर्षमारा, गोलपारा, वर्कपॉइंट, मोरीगांव, कार्य महानगरीय, ।

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