मुंबई की रजा अकादमी ने दुनिया भर के इस्लामिक देशों के नेताओं को सऊदी अरब के हज को लेकर किए गए फैसले की खिलाफत करने के लिए पत्र लिखा है. रजा अकादमी ने नेताओं से अपील की गई है कि सऊदी अरब का हज में केवल सऊदी लोगों के जाने का फैसला इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है.
सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने कहा कि इस साल हज (hajj) को रद नहीं किया जाएगा लेकिन कोरोना वायरस को देखते हुए सीमित संख्या में ही लोगों को इसमें शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। सऊदी अरब सल्तनत ने मंगलवार को कहा कि वह विभिन्न देशों के केवल उन्हीं लोगों को हज में शामिल होने की अनुमति देगा जो पहले से ही मुल्क में रह रहे हैं। हालांकि सरकार ने यह नहीं बताया था कि कितने लोगों को शामिल होने दिया जाएगा। वार्षिक हज यात्रा इस साल जुलाई के अंत में शुरू होगी।
इस पत्र में अपील की गई है कि सारे देश मिलकर आवाज उठाएं कि हर देश के कुछ प्रतिशत लोगों को हज करने की अनुमति मिले. कम से कम इस विषय पर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक देशों में एक स्पेशल मीटिंग बुलाकर चर्चा की जाए.
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि लोगों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए तमाम सुरक्षात्मक उपाय भी अपनाए जाएंगे। हज के लिए सऊदी अरब के मक्का में आमतौर पर दुनियाभर से 20 लाख के करीब मुस्लिम जुटते हैं लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम रहेगी। बता दें कि सऊदी अरब ने अपनी स्थापना के बाद से लगभग 90 वर्षों में कभी भी हज को रद नहीं किया है। इस्लाम धर्म के पांच बुनियादी स्तंभ हैं जिसमें हज भी शामिल है। हर मुस्लिम अपने जीवन में कम से एक बार अवश्य हज करने की इच्छा रखता है।
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