बीजिंग
चीन ने भारत से कहा कि सीमा मुद्दे को हल करने के लिए सार्थक बातचीत की पूर्व शर्त के रूप में वह सिक्किम सेक्टर के डोंगलोंग क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस बुला ले.इसके साथ ही उसने 1962 के युद्ध का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय सेना को इतिहास से सीख लेनी चाहिए.सिक्किम गतिरोध को लेकर चीन के विदेश तथा रक्षा मंत्रालय ने भारत पर अपना निशाना साधा तथा आरोप लगाया कि भारतीय सेना ने चीनी भूभाग में अवैध रूप से घुसपैठ की.
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रवक्ता कर्नल वू क्यूइन ने थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की इस टिप्पणी को पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना बताते हुए खारिज कर दिया कि भारत ढाई मोर्चो पर युद्ध के लिए तैयार है.रावत ने कहा था कि भारत आंतरिक खतरों के साथ साथ चीन, पाकिस्तान की ओर से पैदा सुरक्षा खतरों के लिए तैयार है.रावत की टिप्पणी पर रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी बयानबाजी पूरी तरह से गैरजिम्मेदाराना है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमें उम्मीद है कि भारतीय सेना के वह व्यक्ति इतिहास से सीख लेंगे और युद्ध के बारे में ऐसी बयानबाजी बंद कर देंगे. उधर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने एक अभूतपूर्व कदम में डोंगलोंग क्षेत्र में भारतीय घुसपैठ की दो तस्वीरें मीडिया को दिखायीं और कहा कि जमीन पर सैनिकों के बीच गतिरोध बन रहे विवाद का हल क्षेत्र से भारतीय सैनिकों की वापसी से ही हो सकता है
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