चाबहार-जाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट (Chabahar-Zahedan railway project) से भारत के बाहर निकाले जाने की खबरों का ईरान ने खंडन किया है। दरअसल, भारतीय अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि चाबहार प्रोजेक्ट से नई दिल्ली को बाहर कर दिया गया है। ईरान और भारत के बीच चार साल पहले चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान सीमा पर जाहेदान तक रेल लाइन बिछाने को लेकर समझौता हुआ था।
बुधवार को अल जज़ीरा ने बताया कि ईरान के पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन के डिपो में से एक, फरहाद मोंटेसर ने कहा कि कहानी “पूरी तरह से झूठी है क्योंकि ईरान ने चाबहार-ज़ाहेदान के बारे में भारत के साथ कोई समझौता नहीं किया है।” “ईरान ने चाबहार में निवेश के लिए भारतीयों के साथ केवल दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं: एक बंदरगाह की मशीनरी और उपकरणों से संबंधित है, और दूसरा भारत के 150 मिलियन डॉलर के निवेश से संबंधित है,” मॉन्टेज़र को ईरान समाचार एजेंसी द्वारा उद्धृत किया गया था।
वर्ष 2018 में अमेरिका 2012 के IFCA (Iran Freedom and Counter-Proliferation Act) के तहत चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट में छूट देने के लिए सहमत था। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी (Hassan Rouhani ) ने पोर्ट प्रोजेक्ट को ‘ईरान के आर्थिक भविष्य के निर्माण के लिए अहम बताया था।’ भारत की पब्लिक सेक्टर की रेलवे कंपनी Ircon International ने इस प्रोजेक्ट के लिए हर सर्विस और फंडिंग देने की बात कही है। हाल में ही ईरान ने संकेत दिए थे कि चाबहार सेक्टर में चीन की कंपनियों को बड़ी भागीदारी मिल सकता है। ईरान-चीन के बीच एक समझौते के तहत चीनी कंपनियां अगले 25 वर्षो में यहां 400 अरब डॉलर का निवेश करेंगी। ईरान के इस फैसले पर भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया था।
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